इंडिया के अंदर नक्सलवाद एक बड़ी समस्या है और उससे बड़ी प्रॉब्लम यह है कि ये नक्सली अब और हाईटेक होते जा रहे हैं. जी हां, आमतौर पर ट्रेडिशन और ऑर्डिनरी वेपंस यूज करने वाले नक्सलियों के बीच में अब एक-47 और दूसर इंप्रूव्ड एक्सप्लोसिव्स का यूज तेजी से बढ़ रहा है. हाल ही में मुंबई और पुणे से पकड़े गए छह नक्सलियों के पास यही वेपंस पाए गए. इंवेस्टिगेशन कर रही एटीएस टीम ने इस पर चिंता जताई है. उनका मानना है कि उन्हें वेपंस लश्कर या फिर मुजाहिदीन के द्वारा प्रोवाइड कराए जा रहे हैं. पकड़े गए नक्सलियों के पास न सिर्फ यह वेपंस पाए गए हैं बल्कि उन्हें इनके यूज की भी जानकारी है.
Internal security को खतरा
इस खुलासे के साथ इंडिया की इंटरनल सिक्योरिटी सिचुएशन पर चिंता जताई जा रही है. एटीएस टीम का मानना है कि ऐसे सोफेस्टिकेटेड वेपंस का इस्तेमाल अभी तक लश्कर-ए-तैयबा और इंडियन मुजाहिदीन करते रहे हैं. पकड़े गए नक्सलियों में से पांच महिलाएं और एक पुरुष शामिल हैं, जिन्हें इस महीने की शुरुआत में मुंबई और थाणे से पकड़ा गया था. पूछताछ में पता चला है कि नक्सली बहुत तेजी से पुराने वेपंस और क्रूड बम का त्याग कर एके-47 और इंप्रूवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस को अपने हथियारों में शामिल कर रहे हैं. इंवेस्टिगेटिव एजेंसी इस डेवलपमेंट के साथ यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या इस तरह के वेपंस नक्सलियों को प्रोवाइड कराने के पीछे रेडिकल इस्लामिस्ट ऑर्गनाइजेशंस का हाथ है. नक्सलियों के पास ऐसे वेपंस पाए जाने से उनके मंसूबे साफ नजर आते हैं कि वे देश में सिर्फ डिस्ट्रक्शन चाहते हैं. एक अफसर ने बताया कि उनके पास मिले आईईडी बहुत ही घातक हैं. जरूर नक्सलियों को किसी टेररिस्ट ऑर्गनाइजेशंस का सपोर्ट मिला हुआ है.
मिली है training
एटीएस चीफ राकेश मारिया ने बताया कि पकड़े गए छह नक्सलियों में से दो ने कंफेस किया है कि उन्हें एके-47 और आईईडीज का यूज करने के लिए लिए ट्रेनिंग दी गई है. यह ट्रेनिंग उन्हें चंद्रपुर के घने जंगलों के इलाके में दी गई है. राकेश मारिया ने बताया कि वे यह जानने की कोशिश में लगे हैं कि उन्हें यह वेपंस कैसे मिले और इसके पीछे किस एंटी नेशनल ऑर्गनाइजेशन का हाथ है. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि नक्सलियों को इन वेपंस का इस्तेमाल करने की अच्छी जानकारी प्राप्त है और यह बखूबी उनका इस्तेमाल करते हैं.
Internal security को खतरा
इस खुलासे के साथ इंडिया की इंटरनल सिक्योरिटी सिचुएशन पर चिंता जताई जा रही है. एटीएस टीम का मानना है कि ऐसे सोफेस्टिकेटेड वेपंस का इस्तेमाल अभी तक लश्कर-ए-तैयबा और इंडियन मुजाहिदीन करते रहे हैं. पकड़े गए नक्सलियों में से पांच महिलाएं और एक पुरुष शामिल हैं, जिन्हें इस महीने की शुरुआत में मुंबई और थाणे से पकड़ा गया था. पूछताछ में पता चला है कि नक्सली बहुत तेजी से पुराने वेपंस और क्रूड बम का त्याग कर एके-47 और इंप्रूवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस को अपने हथियारों में शामिल कर रहे हैं. इंवेस्टिगेटिव एजेंसी इस डेवलपमेंट के साथ यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या इस तरह के वेपंस नक्सलियों को प्रोवाइड कराने के पीछे रेडिकल इस्लामिस्ट ऑर्गनाइजेशंस का हाथ है. नक्सलियों के पास ऐसे वेपंस पाए जाने से उनके मंसूबे साफ नजर आते हैं कि वे देश में सिर्फ डिस्ट्रक्शन चाहते हैं. एक अफसर ने बताया कि उनके पास मिले आईईडी बहुत ही घातक हैं. जरूर नक्सलियों को किसी टेररिस्ट ऑर्गनाइजेशंस का सपोर्ट मिला हुआ है.
मिली है training
एटीएस चीफ राकेश मारिया ने बताया कि पकड़े गए छह नक्सलियों में से दो ने कंफेस किया है कि उन्हें एके-47 और आईईडीज का यूज करने के लिए लिए ट्रेनिंग दी गई है. यह ट्रेनिंग उन्हें चंद्रपुर के घने जंगलों के इलाके में दी गई है. राकेश मारिया ने बताया कि वे यह जानने की कोशिश में लगे हैं कि उन्हें यह वेपंस कैसे मिले और इसके पीछे किस एंटी नेशनल ऑर्गनाइजेशन का हाथ है. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि नक्सलियों को इन वेपंस का इस्तेमाल करने की अच्छी जानकारी प्राप्त है और यह बखूबी उनका इस्तेमाल करते हैं.
AK-47s, IEDs replace naxals cru
Reviewed by Brajmohan
on
11:57 PM
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