
NEW YORK (29 Sept, Agency):1999 में इंडिया और पाकिस्तान के बीच करगिल वार के दौरान न्यूक्लियर वेपंस के इस्तेमाल की धमकी से तत्कालीन प्रेसीडेंट बिल क्लिंटन भी डर गए थे. इसी डर की वजह से वह यहां का दौरा करके दोनों देशों के बीच सुलह कराने की कोशिश भी करना चाहते थे. यह खुलासा किया है क्लिंटन के प्रेसीडेंटशिप के दौरान लिखी गई एक बुक ने. पुलित्जर अवार्डी राइटर और हिस्टॉरियन टेलर ब्रांच ने इस बुक में दावा किया है कि कारगिल वार के दौरान क्लिंटन इस कदर बेचैन हो उठे थे कि वह दोनों देशों के बीच न्यूक्लियर वार रोकने के लिए किसी भी समय फ्लाइट पकड़ने को बेताब थे. उन्हें डर था कि पाकिस्तान वार के डर से इंडिया पर न्यूक्लियर अटैक कर सकता है. ब्रांच ने अपनी बुक में दावा किया कि करगिल वार के चरम पर पहुंचने पर बिल क्लिंटन ने उन्हें बताया कि पाकिस्तान ने अपनी पॉलिसी के तहत इंडिया के साथ टेंशन बढ़ाने और इंटरनेशनल कम्युनिटी का ध्यान अटैक्ट करने के लिए अपने सोल्जर्स को चोरी छिपे लाइन ऑफ कंट्रोल को पार करा दिया था. 700 पन्नों की इस बुक द क्लिंटन टेप्स: रेसलिंग हिस्ट्री विद द प्रेजीडेंट में ब्रांच लिखते हैं कि क्लिंटन ने मुझे कश्मीर के बारे में यह कहकर चौंका दिया था कि हालात के बारे में जो कहा जा रहा है, असल में ये उससे कहीं अधिक गंभीर मामला हैं. ब्रांच का कहना है कि क्लिंटन ने उनसे कहा कि सिर्फ चार महीने पहले ही दोनों कंट्रीज के बीच शांति यात्रा शुरू हुई है. उन्होंने पीसफुली बात करने के लिए बस और ट्रेन सर्विसेज शुरू की थीं. दोनों देशों ने कश्मीर पर उस विवाद को खत्म करने के लिए ज्वाइंटली एफर्ट किए जिसकी वजह से उनके बीच बंटवारे के बाद तीन वार हुए. ब्रांच लिखते हैं कि इस नए संकट ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया, जिससे यह पता चला कि पॉलिटिक्स कितनी तेजी से बदल सकती है.
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