क्या चुराती हैं ladies
lipstick
nailpaints
cream
facewash
shampoos
Lingrie
Spaghetti dress
Hairpins
Bangles
Branded makeup items
Small utensils
क्या चुराते हैं boys
Shoes
Cream
Shampoos
Jeans
Vests
Hair gel
क्या चुराती हैं girls
Cosmetics
Accessories
T-shirts
Branded Lingrie
Wallets
Belts
क्या चुराते हैं kids
Chocolates
Video games CD
Mini toys
Biscuits
कहां छुपाते हैं सामान
Purse
Undergarments
Pockets
Jackets
पता नहीं कहां से.
जब इन चोरों को रंगे हाथों पकड़ लिया जाता है तो यह बचाव के लिए तरह-तरह के बहाने बनाते हैं. कोई कहता है कि यह तो अनजाने में हो गया. कोई कहता है कि पता नहीं उनके बैग में यह आइटम किसने डाल दिया? कुछ महिलाएं तो अपनी गलती तक नहीं मानतीं और कहती हैं कि यह उनके स्टॉफ की ही साजिश है. मॉल मैनेजर्स के मुताबिक कुछ शॉप लिफ्टर्स अपना जुर्म कुबूल कर लेते हैं जबकि कुछ ऐसा नहीं करते. ऐसी सूरत में हमारे पास इन चोरों को पुलिस को सौंपने के अलावा दूसरा ऑप्शन नहीं होता.
कैसे कैसे बहाने
शॉप लिफ्टर्स अपनी चोरी आसानी से नही कबूलते और काफी देर तक कुछ इस तरह के बहाने मारते रहते हैं.
गलती से सामान आ गया होगा
मुझे तो ये लेना ही नहीं था, पता नहीं कैसे आ गया
लगता है कि किसी और ने मेरी ट्रॉली में डाल दिया है.
गलती से आ गया होगा.
mअरे, मैंने सामान नहीं लिया, चेकिंग की क्या जरूरत है, हम पेमेंट कर देते हैं.
mहम तो चेक कर रहे थे कि सामान लेने के बाद किस तरह से सेंसर बजता है.
शॉप लिफ्टिंग करना सबके बस की बात नहीं होती. ऐसा करने वाले क्लेप्टोमेनिया नाम की बीमारी से ग्रसित होते हैं. इनकी बीमारी लाइलाज है. ये भले ही अच्छी फैमिली से बिलांग करने वाले लोग हों लेकिन ये बिना सामान चुराए ज्यादा देर तक रेसिस्ट नहीं कर पाते और मौका देखते ही सामान चुरा लेते हैं.
-डॉ. आलोक बाजपेई
साइकियाट्रिस्ट
यह एक साइकोलॉजिकल बीमारी होती है. जब किसी बच्चे, महिला या पुरूष की डिमांड पूरी नहीं होती. तब वो इस तरह का काम करने लगते हैं. अगर कोई महिला या बच्चे ऐसा कर रहे हैं तो शॉप लिफ्टिंग उनकी आदत बन में शुमार हो जाता है. उनके दिलो-दिमाग में यह बात बैठ जाती है कि इन सब चीजों को बिना पैसा खर्च किए ही अपना बना लिया जाए. अगर वो ऐसा नहीं करते तो उन्हें लगता है कि उनकी शॉपिंग अधूरी होती है.
- मंजू जैन
Kanpur के Kleptomaniacs
city Camera भी fail
सिटी के बड़े-बड़े मॉल्स में शॉप लिफ्टर्स की संख्या बढ़ती ही जा रही है. आलम यह है कि सिक्योरिटी के लिहाज से मॉल्स में हाई सेंसिटिव सीसीटीवी कैमरे भी सफेद हाथी साबित होते हैं. ऐसे में इन पर नजर रख पाना या इनकी मदद से किसी शॉप लिफ्टर को पकड़ पाना भी बहुत मुश्किल हो जाता है. मॉल मैनेजर्स के मुताबिक कभी-कभी एग्जिट गेट पर लगे सेंसर से इन चोरों का बच पाना मुश्किल हो जाता है.
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Branded makeup items
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क्या चुराते हैं boys
Shoes
Cream
Shampoos
Jeans
Vests
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क्या चुराती हैं girls
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Branded Lingrie
Wallets
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क्या चुराते हैं kids
Chocolates
Video games CD
Mini toys
Biscuits
कहां छुपाते हैं सामान
Purse
Undergarments
Pockets
Jackets
पता नहीं कहां से.
जब इन चोरों को रंगे हाथों पकड़ लिया जाता है तो यह बचाव के लिए तरह-तरह के बहाने बनाते हैं. कोई कहता है कि यह तो अनजाने में हो गया. कोई कहता है कि पता नहीं उनके बैग में यह आइटम किसने डाल दिया? कुछ महिलाएं तो अपनी गलती तक नहीं मानतीं और कहती हैं कि यह उनके स्टॉफ की ही साजिश है. मॉल मैनेजर्स के मुताबिक कुछ शॉप लिफ्टर्स अपना जुर्म कुबूल कर लेते हैं जबकि कुछ ऐसा नहीं करते. ऐसी सूरत में हमारे पास इन चोरों को पुलिस को सौंपने के अलावा दूसरा ऑप्शन नहीं होता.
कैसे कैसे बहाने
शॉप लिफ्टर्स अपनी चोरी आसानी से नही कबूलते और काफी देर तक कुछ इस तरह के बहाने मारते रहते हैं.
गलती से सामान आ गया होगा
मुझे तो ये लेना ही नहीं था, पता नहीं कैसे आ गया
लगता है कि किसी और ने मेरी ट्रॉली में डाल दिया है.
गलती से आ गया होगा.
mअरे, मैंने सामान नहीं लिया, चेकिंग की क्या जरूरत है, हम पेमेंट कर देते हैं.
mहम तो चेक कर रहे थे कि सामान लेने के बाद किस तरह से सेंसर बजता है.
शॉप लिफ्टिंग करना सबके बस की बात नहीं होती. ऐसा करने वाले क्लेप्टोमेनिया नाम की बीमारी से ग्रसित होते हैं. इनकी बीमारी लाइलाज है. ये भले ही अच्छी फैमिली से बिलांग करने वाले लोग हों लेकिन ये बिना सामान चुराए ज्यादा देर तक रेसिस्ट नहीं कर पाते और मौका देखते ही सामान चुरा लेते हैं.
-डॉ. आलोक बाजपेई
साइकियाट्रिस्ट
यह एक साइकोलॉजिकल बीमारी होती है. जब किसी बच्चे, महिला या पुरूष की डिमांड पूरी नहीं होती. तब वो इस तरह का काम करने लगते हैं. अगर कोई महिला या बच्चे ऐसा कर रहे हैं तो शॉप लिफ्टिंग उनकी आदत बन में शुमार हो जाता है. उनके दिलो-दिमाग में यह बात बैठ जाती है कि इन सब चीजों को बिना पैसा खर्च किए ही अपना बना लिया जाए. अगर वो ऐसा नहीं करते तो उन्हें लगता है कि उनकी शॉपिंग अधूरी होती है.
- मंजू जैन
Kanpur के Kleptomaniacs
city Camera भी fail
सिटी के बड़े-बड़े मॉल्स में शॉप लिफ्टर्स की संख्या बढ़ती ही जा रही है. आलम यह है कि सिक्योरिटी के लिहाज से मॉल्स में हाई सेंसिटिव सीसीटीवी कैमरे भी सफेद हाथी साबित होते हैं. ऐसे में इन पर नजर रख पाना या इनकी मदद से किसी शॉप लिफ्टर को पकड़ पाना भी बहुत मुश्किल हो जाता है. मॉल मैनेजर्स के मुताबिक कभी-कभी एग्जिट गेट पर लगे सेंसर से इन चोरों का बच पाना मुश्किल हो जाता है.
Security भी हो जाती है confuse
Reviewed by Brajmohan
on
1:42 AM
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