MUMBAI (9 Aug, Agency ): मुंबई से दस समुद्री मील (करीब 16 किलोमीटर) की दूरी पर अरब सागर में शनिवार को हुई दो जहाजों में टक्कर से फैला तेल अरब सागर में पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा बन गया है. महाराष्ट्र से सटे अरब सागर में पर्यावरण पर एमएससी चित्रा से रिसा तेल बुरा असर डाल रहा है. महाराष्ट्र के सीएम अशोक चव्हाण ने समुद्र में तेल फैलने से मछलियों के जहरीले हो जाने की आशंका के चलते लोगों से मछलियां न खाने की अपील की है. इस घटना से अरब सागर में विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकीं हमबैक वेल और कछुओं के वजूद पर संकट पैदा हो गया है.
मर रही हैं मछलियां
जानकार इस बात से चिंतित हैं कि चित्रा से रिस रहा तेल मुंबई के समुद्र तट पर मौजूद मैंग्रोव बेल्ट पर भी बुरा असर डाल रहा है. इससे पर्यावरण संतुलन पर भी बुरा असर पड़ रहा है. मुंबई के पास मौजूद समुद्र में करीब 200 तरह की समुद्री प्रजातियां पाई जाती हैं. समुद्र में मौजूद जीवों और वनस्पतियों पर इसके बुरे असर की आशंका है. सबसे बुरा असर छोटी मछलियों ओइस्टर और लॉबस्टर पर सबसे ज्यादा पड़ रहा है. जानकारों के मुताबिक अरब सागर में विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी हमबैक वेल (एक स्टडी के मुताबिक वेल की यह प्रजाति अब सिर्फ 400 की संख्या में अरब सागर में मौजूद है) के वजूद पर समुद्र में तेल फैलने से बड़ा सवाल खड़ा हो गया है. छोटी मछलियों जैसे, ओइस्टर पर भी इसका बहुत बुरा असर पड़ रहा है.
मछुआरों को नुकसान
15 अगस्त से शुरू हो रहे मछलीपकड़ने केसीजन में बॉम्बे डक व पॉम्फ्रे मछलियां पकड़ी जाएगी. मुंबई के पासअरब सागर में मछलियों के मरने की आशंका है, मछुआरों को करोड़ों रुपए का नुकसान होगा.
हमबैक वेल
वेल के शिकार पर पूरी दुनिया में रोक लगाए जाने से पहले हमबैक वेल 1500 तक की संख्या तक सिमट गई थी, लेकिन प्रतिबंध के बाद इनकी संख्या बढ़ी है, लेकिन अरब सागर में इनकी संख्या लगातार गिरती जा रही है और इसे विलुप्त प्राय समुद्री जीवों की श्रेणी में रखा गया है.
पर्यावरणविद् बिट्टू सहगल के मुताबिक हजारों लीटर तेल पानी में फैलने से लाखों समुद्री जीवों के अस्तित्व पर गंभीर ख़तरा मंडरा रहा है.
मर रही हैं मछलियां
जानकार इस बात से चिंतित हैं कि चित्रा से रिस रहा तेल मुंबई के समुद्र तट पर मौजूद मैंग्रोव बेल्ट पर भी बुरा असर डाल रहा है. इससे पर्यावरण संतुलन पर भी बुरा असर पड़ रहा है. मुंबई के पास मौजूद समुद्र में करीब 200 तरह की समुद्री प्रजातियां पाई जाती हैं. समुद्र में मौजूद जीवों और वनस्पतियों पर इसके बुरे असर की आशंका है. सबसे बुरा असर छोटी मछलियों ओइस्टर और लॉबस्टर पर सबसे ज्यादा पड़ रहा है. जानकारों के मुताबिक अरब सागर में विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी हमबैक वेल (एक स्टडी के मुताबिक वेल की यह प्रजाति अब सिर्फ 400 की संख्या में अरब सागर में मौजूद है) के वजूद पर समुद्र में तेल फैलने से बड़ा सवाल खड़ा हो गया है. छोटी मछलियों जैसे, ओइस्टर पर भी इसका बहुत बुरा असर पड़ रहा है.
मछुआरों को नुकसान
15 अगस्त से शुरू हो रहे मछलीपकड़ने केसीजन में बॉम्बे डक व पॉम्फ्रे मछलियां पकड़ी जाएगी. मुंबई के पासअरब सागर में मछलियों के मरने की आशंका है, मछुआरों को करोड़ों रुपए का नुकसान होगा.
हमबैक वेल
वेल के शिकार पर पूरी दुनिया में रोक लगाए जाने से पहले हमबैक वेल 1500 तक की संख्या तक सिमट गई थी, लेकिन प्रतिबंध के बाद इनकी संख्या बढ़ी है, लेकिन अरब सागर में इनकी संख्या लगातार गिरती जा रही है और इसे विलुप्त प्राय समुद्री जीवों की श्रेणी में रखा गया है.
पर्यावरणविद् बिट्टू सहगल के मुताबिक हजारों लीटर तेल पानी में फैलने से लाखों समुद्री जीवों के अस्तित्व पर गंभीर ख़तरा मंडरा रहा है.
Fishing Dying Because of Environment Polution
Reviewed by Brajmohan
on
5:51 AM
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