मोबाइल रिवॉल्यूशन कोई नई बात नहीं रही, लेकिन इन दिनों एक अन्य रिवॉल्युशन चर्चा का विषय बना हुआ है जिसे मोबाइल एप्लीकेशन रिवॉल्यूशन का नाम दिया जा रहा है. असल में एप्लिकेशन या शॉर्ट में कहें तो एप्स सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में सबसे तेजी से मुनाफा देने वाले माध्यम बन गए हैं. महीने भर में ही कोई भी एप्लिकेशन डेवलप करके उसे दुनिया भर में फैले डाउनलोडिंग के दीवानों के लिए जारी किया जा सकता है. एग्जांपल के तौर पर इस साल जनवरी में ऐपल एप स्टोर से 3 अरब डाउनलोडिंग हुई हैं. मार्केट रिसर्च फर्म गार्टनर के मुताबिक इस साल कंज्यूमर गेम्स, सोशल नेटवर्किग टूल्स सहित इंटरटेनमेंट की कई चीजों को मोबाइल फोन पर इस्तेमाल करने के लिए 6.2 अरब डॉलर की मोटी रकम खर्च की जा रही है. यह हालात तब हैं जब 80 परसेंट मोबाइल एप्लिकेशन फ्री में ही मुहैया कराए जाएंगे.
प्रोफेशनल्स को टक्कर
एप्लीकेशंस स्टोर में गेम्स, कारोबार, न्यूज, स्पोर्ट्स और हेल्थ जैसी कैटेगरी में 1 लाख से भी ज्यादा ऑप्शन मौजूद हैं. ब्लैकबेरी एप वर्ल्ड में इन्हीं कैटेगरीज में करीब 4 हजार टाइटल हैं. वहीं गूगल एंड्रॉयड करीब 20 हजार ऐसे ही टाइटल मार्केट में बेचता है. इसमें कोई हैरत नहीं होनी चाहिए कि कारोबारी हलकों में पांच साल पहले तक एप्लिकेशन डेवलपर का कोई नामोनिशां तक नहीं था, लेकिन अब यह मोबाइल मार्केट में राज करता नजर आ रहा है. स्टूडेंट, टीचर और यहां तक कि डॉक्टर भी इस होड़ में कूद रहे हैं और सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल्स को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. ऐपल, नोकिया, सैमसंग और सोनी एरिक्सन जैसी कंपनियों की वेबसाइट या फिर ऑर्कुट या फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किग साइट इनकी मदद कर रही हैं. इस मीडियम के जरिए डेवलपर अपने सॉफ्टवेयर दुनिया के किसी भी कोने में बेच सकते हैं.
सॉफ्टवेयर का डॉक्टर
रोहित सिंघल की कहानी एक गैरेज और तीन लोगों की टीम के साथ शुरू हई. पेशे से रेडियोलॉजिस्ट सिंघल ने ऑसिरिक्स नाम के एक ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया. यह सॉफ्टवेयर रेडियोलॉजी के लिए ही तैयार किया गया है. उनकी सोर्सबिट्स नाम की कंपनी मेडिकल सेक्टर के लिए तो सॉफ्टवेयर डेवलप करने लगी, साथ ही गेम्स और जनरल एप्स तक भी इसका दायरा बढ़ता गया.
सिंघल की कंपनी ने ही सबसे पहले क्लॉक एप्स नाइटस्टैंड को पेश किया था. अब तक हुई इसकी 25 लाख डाउनलोडिंग इसकी कामयाबी की कहानी खुद बयां करती हैं. मौजूदा समय में उनकी कंपनी में कई वर्कर्स सिर्फ इसी काम में लगे हैं.
प्रोफेशनल्स को टक्कर
एप्लीकेशंस स्टोर में गेम्स, कारोबार, न्यूज, स्पोर्ट्स और हेल्थ जैसी कैटेगरी में 1 लाख से भी ज्यादा ऑप्शन मौजूद हैं. ब्लैकबेरी एप वर्ल्ड में इन्हीं कैटेगरीज में करीब 4 हजार टाइटल हैं. वहीं गूगल एंड्रॉयड करीब 20 हजार ऐसे ही टाइटल मार्केट में बेचता है. इसमें कोई हैरत नहीं होनी चाहिए कि कारोबारी हलकों में पांच साल पहले तक एप्लिकेशन डेवलपर का कोई नामोनिशां तक नहीं था, लेकिन अब यह मोबाइल मार्केट में राज करता नजर आ रहा है. स्टूडेंट, टीचर और यहां तक कि डॉक्टर भी इस होड़ में कूद रहे हैं और सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल्स को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. ऐपल, नोकिया, सैमसंग और सोनी एरिक्सन जैसी कंपनियों की वेबसाइट या फिर ऑर्कुट या फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किग साइट इनकी मदद कर रही हैं. इस मीडियम के जरिए डेवलपर अपने सॉफ्टवेयर दुनिया के किसी भी कोने में बेच सकते हैं.
सॉफ्टवेयर का डॉक्टर
रोहित सिंघल की कहानी एक गैरेज और तीन लोगों की टीम के साथ शुरू हई. पेशे से रेडियोलॉजिस्ट सिंघल ने ऑसिरिक्स नाम के एक ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया. यह सॉफ्टवेयर रेडियोलॉजी के लिए ही तैयार किया गया है. उनकी सोर्सबिट्स नाम की कंपनी मेडिकल सेक्टर के लिए तो सॉफ्टवेयर डेवलप करने लगी, साथ ही गेम्स और जनरल एप्स तक भी इसका दायरा बढ़ता गया.
सिंघल की कंपनी ने ही सबसे पहले क्लॉक एप्स नाइटस्टैंड को पेश किया था. अब तक हुई इसकी 25 लाख डाउनलोडिंग इसकी कामयाबी की कहानी खुद बयां करती हैं. मौजूदा समय में उनकी कंपनी में कई वर्कर्स सिर्फ इसी काम में लगे हैं.