गोल के प्रति "devoted" रहें तो कदम चूमेगी सफलता

कोई भी काम कठिन नहीं होता है, बशर्ते कि हम उसे एक मिशन के रूप में लें तब. हमारी नजर गोल पर रहे और उसके प्रति हम पूरी तरह समर्पित रहें तो हमें सफलता मिलने से कोई नहीं रोक सकता है. कुछ ऐसा ही मामला है सीबीएसई के ग्रेडिंग सिस्टम के साथ. यह ठीक है कि बोर्ड ने ग्रेडिंग सिस्टम लागू कर स्टूडेंट्स और स्कूल की परेशानी को थोड़ा बढ़ा दिया है. लेकिन, अगर स्टूडेंट्स अपने गोल के प्रति एकाग्रचित रहें और उसी लेवल के मेहनत करें तो बेशक वे गोल को एचीव कर लेंगे. कहें तो सीबीएसई ग्रेडिंग सिस्टम से स्टूडेंट्स को परेशान होने की जरूरत नहीं है. बस, खुद को बेस्ट साबित करने पर उनका ध्यान होना चाहिए. उनमें ग्रेड ए पर पहुंचने की चाहत होनी चाहिए. ग्रेडिंग सिस्टम को अपनाने में थोड़ी मुश्किलें है. इससे स्टूडेंट्स में सेल्फ जजमेंट, कांपटीशन आदि की भावना में कमी आएगी. दूसरों से आगे बढ़ने की होड़ नहीं रहेगी. लेकिन, जो स्टूडेंट्स अच्छे हैं, उन्हें इससे कोई दिक्कतें नहीं होगी. हां, जेनरल स्टूडेंट्स में प्राब्लम हो सकती है, लेकिन मेरिटोरियस व लेबोरियस स्टूडेंट्स तो बेस्ट बनेंगे ही. इसमें टीचर्स का रोल भी काफी अहम है. स्टूडेंट्स को ग्रेडिंग के हौवा से वे ही निकाल सकते हैं. अंततोगत्वा यही कह सकते हैं कि स्टूडेंट्स का वील पावर स्ट्रांग हो और टीचर का सही हेल्प मिल जाए तो नो डाउट सफलता उनके कदम चूमेगी.

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