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MEERUT (20 May):सिटी की सड़कों पर ट्रैफिक के साथ मौत भी दौड़ रही है. पता नहीं यह कब किसे गिरफ्त में ले ले. खास बात ये है कि एक्सीडेंट के सबसे ज्यादा शिकार यूथ बन रहे हैं. इनके खून से सड़कें लगातार लाल हो रही हैं. किसी का इकलौता चिराग बुझ गया तो किसी की फैमिली पर ही कहर टूट पड़ा. कोई रूम पार्टनर के साथ घूमने निकला तो मौत का भी पार्टनर बन गया. कुछ ऐसी ही है एक्सीडेंट की दास्तां. हर महीने तकरीबन 10 यूथ मौत के आगोश में समा रहे हैं.
मौत की फेहरिश्त
छवि अग्रवाल, बॉबी, शिखर राज, उदयवीर, ईशांत शर्मा, मोहित.. नामों की यह फेहरिस्त काफी लंबी है. ये सब दुनिया छोड़ चुके हैं. इन सभी में दो बात कॉमन हैं. पहली ये कि सभी की उम्र 15 से 25 के बीच रही है. दूसरी यह कि इनकी मौत की वजह एक्सीडेंट है. किसी के भविष्य ने ट्रक के नीचे दम तोड़ दिया तो किसी को बेकाबू बस ने कुचल डाला. मातम और आक्रोश पनपा, लेकिन फिर सब कुछ पहले जैसा हो गया. न तो एक्सीडेंट करने वाले पकड़े गए, न ही एक्सीडेंट की रफ्तार मंदी पड़ी. सवाल है कि आखिर इतने लोगों को खोकर भी किसी ने कोई सबक क्यों नहीं लिया.
करियर से कत्ल तक
एक्सीडेंट के कई मामले तो ऐसे हैं जिनमें करियर की सुनहरी डगर पर यूथ चले थे लेकिन वे मुकाम तक पहुंचते, इससे पहले ही बेकाबू वाहनों ने उनका कत्ल कर डाला. शुरुआत गोल्डन एवेन्यू कॉलोनी की छवि अग्रवाल से करते हैं. बीसीए कंपलीट करने के बाद छवि का पुणे के एक प्रतिष्ठित संस्थान में एमबीए में एडमीशन हो गया था. लेकिन किस्मत उसके साथ नहीं थी. मां के साथ वह स्कूटी पर शॉपिंग के लिए निकली और पीछे से आए ट्रक ने दोनों को मौत की नींद सुला दिया. कल्याण नगर का शिखर राज अपने दोस्तों के साथ हरिद्वार गया था. वह इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा था. रास्ते में हुए एक्सीडेंट ने घर के इकलौते चिराग को बुझा दिया. ईशांत शर्मा ग्रेटर नोएडा के एक इंस्टीट्यूट से इंजीनियरिंग कर रहा था. मोहिद्दीनपुर चेकपोस्ट के पास उसकी बाइक टकराई और वह मौत की नींद सो गया.
मौत भी साथ
नीरज, दीपांशु और शुभम तीनों गहरे दोस्त थे. दोस्ती इतनी पक्की कि मौत भी इन्हें अलग नहीं कर सकी. तीनों बुलंदशहर के बाबू बनारसी दास कॉलेज से बीटेक कर रहे थे. तीनों मेरठ में नेहरू नगर निवासी अपने दोस्त मनीष चौधरी की बहन की शादी में आए थे. हादसा गत 28 नवंबर की रात ठीक जेल चुंगी पर हुआ. तीनों मारुति कार में सवार थे. जेल चुंगी पर सामने से आ रहा एक कैंटर अनियंत्रित होकर पलट गया और तीनों दोस्तों का अंत हो गया.
फैमिली पर कहर
पिछले दिनों रुड़की रोड पर हुए एक सड़क हादसे ने सभी के रोंगटे खड़े कर दिए थे. हरिद्वार से दिल्ली वापस लौट रही साहू फैमिली पर 12 अप्रैल की रात कहर बनकर टूटी. उड़ीसा के मूल निवासी संग्राम सिंह साहू अपने पिता, मां, पत्नी और बेटा-बेटी के साथ हरिद्वार से दिल्ली लौट रहे थे. सकौती के पास उनकी कार अज्ञात वाहन के पीछे जा घुसी. इस हादसे में साहू फैमिली के छह सदस्यों समेत सात की मौत हुई. सातवां शख्स कार चालक था.
MEERUT (20 May):सिटी की सड़कों पर ट्रैफिक के साथ मौत भी दौड़ रही है. पता नहीं यह कब किसे गिरफ्त में ले ले. खास बात ये है कि एक्सीडेंट के सबसे ज्यादा शिकार यूथ बन रहे हैं. इनके खून से सड़कें लगातार लाल हो रही हैं. किसी का इकलौता चिराग बुझ गया तो किसी की फैमिली पर ही कहर टूट पड़ा. कोई रूम पार्टनर के साथ घूमने निकला तो मौत का भी पार्टनर बन गया. कुछ ऐसी ही है एक्सीडेंट की दास्तां. हर महीने तकरीबन 10 यूथ मौत के आगोश में समा रहे हैं.
मौत की फेहरिश्त
छवि अग्रवाल, बॉबी, शिखर राज, उदयवीर, ईशांत शर्मा, मोहित.. नामों की यह फेहरिस्त काफी लंबी है. ये सब दुनिया छोड़ चुके हैं. इन सभी में दो बात कॉमन हैं. पहली ये कि सभी की उम्र 15 से 25 के बीच रही है. दूसरी यह कि इनकी मौत की वजह एक्सीडेंट है. किसी के भविष्य ने ट्रक के नीचे दम तोड़ दिया तो किसी को बेकाबू बस ने कुचल डाला. मातम और आक्रोश पनपा, लेकिन फिर सब कुछ पहले जैसा हो गया. न तो एक्सीडेंट करने वाले पकड़े गए, न ही एक्सीडेंट की रफ्तार मंदी पड़ी. सवाल है कि आखिर इतने लोगों को खोकर भी किसी ने कोई सबक क्यों नहीं लिया.
करियर से कत्ल तक
एक्सीडेंट के कई मामले तो ऐसे हैं जिनमें करियर की सुनहरी डगर पर यूथ चले थे लेकिन वे मुकाम तक पहुंचते, इससे पहले ही बेकाबू वाहनों ने उनका कत्ल कर डाला. शुरुआत गोल्डन एवेन्यू कॉलोनी की छवि अग्रवाल से करते हैं. बीसीए कंपलीट करने के बाद छवि का पुणे के एक प्रतिष्ठित संस्थान में एमबीए में एडमीशन हो गया था. लेकिन किस्मत उसके साथ नहीं थी. मां के साथ वह स्कूटी पर शॉपिंग के लिए निकली और पीछे से आए ट्रक ने दोनों को मौत की नींद सुला दिया. कल्याण नगर का शिखर राज अपने दोस्तों के साथ हरिद्वार गया था. वह इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा था. रास्ते में हुए एक्सीडेंट ने घर के इकलौते चिराग को बुझा दिया. ईशांत शर्मा ग्रेटर नोएडा के एक इंस्टीट्यूट से इंजीनियरिंग कर रहा था. मोहिद्दीनपुर चेकपोस्ट के पास उसकी बाइक टकराई और वह मौत की नींद सो गया.
मौत भी साथ
नीरज, दीपांशु और शुभम तीनों गहरे दोस्त थे. दोस्ती इतनी पक्की कि मौत भी इन्हें अलग नहीं कर सकी. तीनों बुलंदशहर के बाबू बनारसी दास कॉलेज से बीटेक कर रहे थे. तीनों मेरठ में नेहरू नगर निवासी अपने दोस्त मनीष चौधरी की बहन की शादी में आए थे. हादसा गत 28 नवंबर की रात ठीक जेल चुंगी पर हुआ. तीनों मारुति कार में सवार थे. जेल चुंगी पर सामने से आ रहा एक कैंटर अनियंत्रित होकर पलट गया और तीनों दोस्तों का अंत हो गया.
फैमिली पर कहर
पिछले दिनों रुड़की रोड पर हुए एक सड़क हादसे ने सभी के रोंगटे खड़े कर दिए थे. हरिद्वार से दिल्ली वापस लौट रही साहू फैमिली पर 12 अप्रैल की रात कहर बनकर टूटी. उड़ीसा के मूल निवासी संग्राम सिंह साहू अपने पिता, मां, पत्नी और बेटा-बेटी के साथ हरिद्वार से दिल्ली लौट रहे थे. सकौती के पास उनकी कार अज्ञात वाहन के पीछे जा घुसी. इस हादसे में साहू फैमिली के छह सदस्यों समेत सात की मौत हुई. सातवां शख्स कार चालक था.
Youth Tragedy
Reviewed by Brajmohan
on
12:29 PM
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