WASHINGTON (20 May, Agency): दिमाग को हैरत में डालने वाली साइंटिस्ट्स की इस खोज की जितनी तारीफ की जाए, कम होगी. दरअसल अमेरिका में करीब चार करोड़ सत्तर लाख साल पुराना एक फॉसिल दिखाया जा रहा है जो मानव विकास की कई परतों को खोलेगा.
यह फॉसिल बंदर की आकृति लिए हुए है. दिलचस्प यह है कि यह फॉसिल इतने बेहतरीन तरीके से सुरक्षित था कि इसके शरीर के फर और पेट में भोजन के बारे में जानकारियां जुटाना संभव हो सका है. यह अनोखा फॉसिल न्यूयॉर्क के अमेरिकन म्यूजियम ऑफ नैचुरल हिस्ट्री में खासी चर्चा के बीच प्रदर्शित किया जा रहा है.
बनेगी डॉक्यूमेंट्री
वैसे तो इस फॉसिल के बारे में एक साइंस मैगजीन पीएलओएस-वन में कुछ जानकारियां छपी हैं लेकिन लोग इसके बारे में और जान सकें इसलिए इस पर एक डॉक्यूमेंट्री भी बन रही है. इसके बारे में बताया जाता है कि यह 1980 के दशक में जर्मनी के मेसल पिट से खोजा गया था. तब से अब तक यह किसी प्राइवेट म्यूजियम में रखा गया था. बाद में नार्वे की नैचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के जॉन हुरुम ने इसका पता लगाया और इसकी इंपॉर्टेस के बारे में बताया.
फीमेल एनीमल है
जॉन का कहना है कि यह अनोखी खोज किसी सपने के सच होने से कम नहीं थी. यह फॉसिल मानव विकास की गुत्थियों को भी सुलझाने में मददगार साबित होगा. यह फीमेल एनीमल का फॉसिल है जो बंदर के जैसे प्रतीत होती है. साइंटिस्ट्स का मानना है कि बंदरों का आगे का दांत कुछ बढ़ा हुआ होता है और एक साथ होता है जो इसमें नहीं है. इनका यह भी कहना है कि यह बंदर नहीं है बल्कि एक अलग ही प्रजाति का जानवर है. साइंटिस्ट्स मानते हैं कि यह मानवों से भी मिलता-जुलता है.
डार्विनियस मासिले नाम दिया
टीम ने इसे डार्विनियस मासिले नाम दिया है. यह नाम डार्विन की जन्मशती और मेसल पिट को मिलाकर रखा गया है. रिसर्च टीम के डॉक्टर जेन्स फ्रैन्जन मेसल पिट से मिलने वाले फॉसिल्स के भी जानकार हैं. उनका कहना है कि यह फॉसिल जिस अवस्था में मिला है वह दुनिया के आठवें आश्चर्य से कम नहीं हैं.
हालांकि नेचर मैगजीन के सीनियर एडिटर डॉक्टर हेनरी इसके बारे में संशय रखते हैं. उन्होंने कहा कि इसे इतना महत्व नहीं देना चाहिए. वहीं नैचुरल हिस्ट्री के कार्नेगो म्यूजियम के डॉक्टर क्रिस बियर्ड कहते हैं कि नए फॉसिल्स को लेकर दी जा रही जानकारियां अगर सही साबित न हुई तो उनकी पब्लिसिटी घातक हो सकती है.
यह फॉसिल बंदर की आकृति लिए हुए है. दिलचस्प यह है कि यह फॉसिल इतने बेहतरीन तरीके से सुरक्षित था कि इसके शरीर के फर और पेट में भोजन के बारे में जानकारियां जुटाना संभव हो सका है. यह अनोखा फॉसिल न्यूयॉर्क के अमेरिकन म्यूजियम ऑफ नैचुरल हिस्ट्री में खासी चर्चा के बीच प्रदर्शित किया जा रहा है.
बनेगी डॉक्यूमेंट्री
वैसे तो इस फॉसिल के बारे में एक साइंस मैगजीन पीएलओएस-वन में कुछ जानकारियां छपी हैं लेकिन लोग इसके बारे में और जान सकें इसलिए इस पर एक डॉक्यूमेंट्री भी बन रही है. इसके बारे में बताया जाता है कि यह 1980 के दशक में जर्मनी के मेसल पिट से खोजा गया था. तब से अब तक यह किसी प्राइवेट म्यूजियम में रखा गया था. बाद में नार्वे की नैचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के जॉन हुरुम ने इसका पता लगाया और इसकी इंपॉर्टेस के बारे में बताया.
फीमेल एनीमल है
जॉन का कहना है कि यह अनोखी खोज किसी सपने के सच होने से कम नहीं थी. यह फॉसिल मानव विकास की गुत्थियों को भी सुलझाने में मददगार साबित होगा. यह फीमेल एनीमल का फॉसिल है जो बंदर के जैसे प्रतीत होती है. साइंटिस्ट्स का मानना है कि बंदरों का आगे का दांत कुछ बढ़ा हुआ होता है और एक साथ होता है जो इसमें नहीं है. इनका यह भी कहना है कि यह बंदर नहीं है बल्कि एक अलग ही प्रजाति का जानवर है. साइंटिस्ट्स मानते हैं कि यह मानवों से भी मिलता-जुलता है.
डार्विनियस मासिले नाम दिया
टीम ने इसे डार्विनियस मासिले नाम दिया है. यह नाम डार्विन की जन्मशती और मेसल पिट को मिलाकर रखा गया है. रिसर्च टीम के डॉक्टर जेन्स फ्रैन्जन मेसल पिट से मिलने वाले फॉसिल्स के भी जानकार हैं. उनका कहना है कि यह फॉसिल जिस अवस्था में मिला है वह दुनिया के आठवें आश्चर्य से कम नहीं हैं.
हालांकि नेचर मैगजीन के सीनियर एडिटर डॉक्टर हेनरी इसके बारे में संशय रखते हैं. उन्होंने कहा कि इसे इतना महत्व नहीं देना चाहिए. वहीं नैचुरल हिस्ट्री के कार्नेगो म्यूजियम के डॉक्टर क्रिस बियर्ड कहते हैं कि नए फॉसिल्स को लेकर दी जा रही जानकारियां अगर सही साबित न हुई तो उनकी पब्लिसिटी घातक हो सकती है.
fossil से खुलेंगे कई रहस्य
Reviewed by Brajmohan
on
12:35 PM
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