Abhishek Tripathi
KANPUR (23 June): अगर आपसे कहा जाए कि जल्द ही आपको गोबर और गोमूत्र से बना डिजायनर कपड़ा पहनने को मिलेगा तो आप इसे सपना ही कहेंगे. लेकिन यह सपना नहीं हकीकत है. यह बहुत जल्द ही संभव होगा. गाय के गोबर से कागज बनाने में सफलता पाने के बाद भौंती स्थित गौशाला सोसायटी अब गोबर से डिजाइनर कपडे़ बनाने पर शोध कर रही है. वह गोबर चालित बैट्री के प्रोडक्शन के भी करीब है.
वेद और शास्त्रों से मदद
सोसायटी के महामंत्री पुरुषोत्तम तोषनीवाल ने बताया कि उन्होंने कागज के कुल कंटेंट में 40 परसेंट तक गोबर यूज करने में सफलता पाई है. अब गोबर से कपड़ा बनाने पर रिसर्च जारी है. उन्होंने बताया कि चूंकि विज्ञान की किताबों में गोबर के लिए जगह नहीं है, इसलिए वेदों और शास्त्रों में दी गई जानकारी के आधार पर शोध किया जा रहा है.
मनचाहे शेप में डिजाइन
जिस तरह कागज बनाया है, उसी तरह गोबर को कंप्रेस कर कपड़ा बनाया जाएगा. इसे लचीला बनाने के लिए गोमूत्र के अलावा केमिकल के तौर पर कई और चीजों का इस्तेमाल होगा. फिर कस्टमर की डिमांड पर इसे पहनने को मनचाहे शेप में ढालकर डिजाइन किया जाएगा.
बैट्री है कमाल की
सोसायटी से जुड़े युवा रिसर्चर एसबी सिंह ने बताया कि उन्होंने गौशाला के सहयोग से नए किस्म के इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फाइबर्स वाली गोबर की बैट्री बनाई है. ये फाइबर गोबर को गीला रखते हैं, जिससे इनमें पड़े पुराने सेल लगातार चार्ज होते रहते हैं.
पुराने गोबर बैट्री में गोबर सूखते ही चार्जिग बंद हो जाती थी. 4.5 वोल्ट की यह नई बैट्री 300 घंटे तक चल सकती है. जहां दो-दो दिन तक बिजली नहीं आने से इनवर्टर्स की बैट्री चार्ज नहीं हो पाती, वहां यह विकल्प बहुत ही अच्छा है. हालांकि गौशाला सोसायटी में आपसी खींचतान से ऐसी बैट्रीज पर आगे रिसर्च नहीं हो पा रहा है.
KANPUR (23 June): अगर आपसे कहा जाए कि जल्द ही आपको गोबर और गोमूत्र से बना डिजायनर कपड़ा पहनने को मिलेगा तो आप इसे सपना ही कहेंगे. लेकिन यह सपना नहीं हकीकत है. यह बहुत जल्द ही संभव होगा. गाय के गोबर से कागज बनाने में सफलता पाने के बाद भौंती स्थित गौशाला सोसायटी अब गोबर से डिजाइनर कपडे़ बनाने पर शोध कर रही है. वह गोबर चालित बैट्री के प्रोडक्शन के भी करीब है.
वेद और शास्त्रों से मदद
सोसायटी के महामंत्री पुरुषोत्तम तोषनीवाल ने बताया कि उन्होंने कागज के कुल कंटेंट में 40 परसेंट तक गोबर यूज करने में सफलता पाई है. अब गोबर से कपड़ा बनाने पर रिसर्च जारी है. उन्होंने बताया कि चूंकि विज्ञान की किताबों में गोबर के लिए जगह नहीं है, इसलिए वेदों और शास्त्रों में दी गई जानकारी के आधार पर शोध किया जा रहा है.
मनचाहे शेप में डिजाइन
जिस तरह कागज बनाया है, उसी तरह गोबर को कंप्रेस कर कपड़ा बनाया जाएगा. इसे लचीला बनाने के लिए गोमूत्र के अलावा केमिकल के तौर पर कई और चीजों का इस्तेमाल होगा. फिर कस्टमर की डिमांड पर इसे पहनने को मनचाहे शेप में ढालकर डिजाइन किया जाएगा.
बैट्री है कमाल की
सोसायटी से जुड़े युवा रिसर्चर एसबी सिंह ने बताया कि उन्होंने गौशाला के सहयोग से नए किस्म के इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फाइबर्स वाली गोबर की बैट्री बनाई है. ये फाइबर गोबर को गीला रखते हैं, जिससे इनमें पड़े पुराने सेल लगातार चार्ज होते रहते हैं.
पुराने गोबर बैट्री में गोबर सूखते ही चार्जिग बंद हो जाती थी. 4.5 वोल्ट की यह नई बैट्री 300 घंटे तक चल सकती है. जहां दो-दो दिन तक बिजली नहीं आने से इनवर्टर्स की बैट्री चार्ज नहीं हो पाती, वहां यह विकल्प बहुत ही अच्छा है. हालांकि गौशाला सोसायटी में आपसी खींचतान से ऐसी बैट्रीज पर आगे रिसर्च नहीं हो पा रहा है.
अब गोबर से बनेगा कपड़ा!
Reviewed by Brajmohan
on
6:20 AM
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