सिटी में रूल्स की कोई वैल्यू नहीं है. सड़कों पर फरार्टा लगाते बाइक सवारों को देखकर तो यही कहा जा सकता है. वैसे कई टीन एजर्स ऐसे भी हैं जो बहुत सेफली ड्राइव करते हैं, लेकिन फिर भी हादसे होते हैं. ऐसे हादसों में कई बार उनकी जान तक चली जाती है. सिर्फ बाइक व कार ड्राइव करने वालों के साथ ही हादसे नहीं होते साइकिल से जाने वालों को भी भयानक हादसों का शिकार होना पड़ जाता है. सबसे पहले जरूरी है यहां के ट्रैफिक को कंट्रोल करना, किसी तरह की कोई स्पीड लिमिट न होने के चलते सभी अपनी रफ्तार से ड्राइव करते हैं. एक बाइक पर तीन-तीन लोग सवार होकर ट्रैवेल करते हैं, लेकिन उनको कोई नहीं रोकता यहां तक पुलिस भी नजर अंदाज कर देती है. कई बार चौराहों से ही पुलिस नदारत रहती है जिससे अक्सर ट्रैफिक जाम लग जाता है. ऐसे में कई बार मारपीट तक होने लगती है. अगर स्ट्रिक्ट रूल बन जाए और उसको फॉलो करना अनिवार्य कर दिया जाए तो कुछ हद तक यहां के हालात में सुधार हो सकता है. वहीं स्कूल में बाइक लेकर आने वाले स्टूडेंट्स पर स्कूल से ज्यादा पैरेंट्स को सख्ती करनी होगी. स्टूडेंट्स को भी समझना होगा कि तेज ड्राइव करना व रेस लगाने से उन्हीं की जान को खतरा है. अपनी सेफ्टी के लिए यही बेहतर है कि खुद ही अलर्ट हो जाए.