पाकिस्तान में हिंदुओं को होने वाली मुश्किलों के मामले तो पहले भी आते रहे हैं, पर अब मामला और बिगड़ता जा रहा है. वहां हिंदुओं के साथ-साथ सिखों का भी फाइनेंशियल, रिलीजियस और सोशल एक्सप्लायटेशन हो रहा है. इनकी संख्या तकरीबन 15 से बीस लाख है. देश के विभाजन के समय यह लोग वहीं रह गए थे. अब ये वापस भारत आना चाहते हैं. वैसे पाकिस्तान से हिंदुओं और सिखों का पलायन पहले भी होता रहा है. वहां से बड़ी संख्या में आए ये लोग गुजरात, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, पंजाब, दिल्ली और अन्य राज्यों में अपने अपने रिश्तेदारों के साथ रह रहे हैं. जालंधर में ऐसे तकरीबन दो सौ परिवार रहते हैं. उन्हें यहां रहते दस से पंद्रह साल हो गए हैं. वह भारत की नागरिकता दिए जाने की मांग कर रहे है. सीनियर बीजेपी लीडर और सांसद अविनाश राय खन्ना की अगुवाई में पार्टी ने एक कमेटी गठित की है. यह ऐसे लोगों की प्रॉब्लम्स दूर करने की कोशिश करेगी. खन्ना ने प्रत्येक विस्थापित परिवार को दो हजार रुपए दिए जाने की मांग पंजाब गवर्नमेंट से की है. बीजेपी इन लोगों को नागरिकता दिए जाने की भी मांग कर चुकी है. पाकिस्तान के पेशावर से 1998 में परिजनों सहित जालंधर आए सम्मख राम की बातों में दर्द साफ झलकता है.
कोई नहीं सुनता
सम्मख राम ने कहा कि वहां रह रहे लोगों को धार्मिक आजादी नहीं है. यही कारण है कि कराची और स्यालकोट के तकरीबन 15 से बीस लाख हिंदू और सिख पाकिस्तान छोड़ कर अपने मुल्क लौट आना हैं. कराची से अपना घर बार छोड़ कर यहां आए 70 साल के बिजनेसमैन मुल्कराज ने कहा गवर्नमेंट की शह पर वहां मंदिर और गुरुद्वारों को तोडा जाता है. उन्होंने कहा कि मेरे भाई का बिजनेस सिर्फ इसलिए बंद करा दिया है क्योंकि मैं यहां भारत में हूं. मुल्कराज ने कहा कि हिंदू और सिख वोट नहीं दे सकते. उनके लिए अलग से एक इसाई सांसद तय कर दिया जाता है, जो उनकी समस्याओं को सुनता है. स्यालकोट से यहां आए ठक्कर सपाल ने कहा कि हिंदुओं और सिखों के लिए वहां श्मशान तक नहीं है. जो हैं भी वह शहर से तकरीबन तीन से चार सौ किलोमीटर दूर. सम्मख कहते हैं कि हिंदुओं को तो छोड़िए जितनी आजादी हिंदुस्तान में मुसलमानों को हैं उतनी आजादी वहां (पाक में) के मुसलमानों को भी नहीं है.
ज्यादतियों की इंतेहा
वहां पर ज्यादतियों का आलम क्या है इसका अंदाजा इस घटना से लगाया जा सकता है कि वहां के सिंध प्रांत में एक हिंदू लड़के ने एक मस्जिद के बाहर लगे कूलर से पानी पी लिया. इस बात से नाराज प्रभावशाली कबायलियों ने हमले किए और अनेक हिंदू परिवारों को घरबार छोड़ कर भागना पड़ा.
कोई नहीं सुनता
सम्मख राम ने कहा कि वहां रह रहे लोगों को धार्मिक आजादी नहीं है. यही कारण है कि कराची और स्यालकोट के तकरीबन 15 से बीस लाख हिंदू और सिख पाकिस्तान छोड़ कर अपने मुल्क लौट आना हैं. कराची से अपना घर बार छोड़ कर यहां आए 70 साल के बिजनेसमैन मुल्कराज ने कहा गवर्नमेंट की शह पर वहां मंदिर और गुरुद्वारों को तोडा जाता है. उन्होंने कहा कि मेरे भाई का बिजनेस सिर्फ इसलिए बंद करा दिया है क्योंकि मैं यहां भारत में हूं. मुल्कराज ने कहा कि हिंदू और सिख वोट नहीं दे सकते. उनके लिए अलग से एक इसाई सांसद तय कर दिया जाता है, जो उनकी समस्याओं को सुनता है. स्यालकोट से यहां आए ठक्कर सपाल ने कहा कि हिंदुओं और सिखों के लिए वहां श्मशान तक नहीं है. जो हैं भी वह शहर से तकरीबन तीन से चार सौ किलोमीटर दूर. सम्मख कहते हैं कि हिंदुओं को तो छोड़िए जितनी आजादी हिंदुस्तान में मुसलमानों को हैं उतनी आजादी वहां (पाक में) के मुसलमानों को भी नहीं है.
ज्यादतियों की इंतेहा
वहां पर ज्यादतियों का आलम क्या है इसका अंदाजा इस घटना से लगाया जा सकता है कि वहां के सिंध प्रांत में एक हिंदू लड़के ने एक मस्जिद के बाहर लगे कूलर से पानी पी लिया. इस बात से नाराज प्रभावशाली कबायलियों ने हमले किए और अनेक हिंदू परिवारों को घरबार छोड़ कर भागना पड़ा.
स्वदेश की चाहत
Reviewed by Brajmohan
on
5:02 AM
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