एक ओर जहां मानसून का लोगों को बेसब्री से इंतजार है, वहीं बरसात का नाम सुनते ही वार्ड-57 (नवीन नगर) में रहने वाले लोगों की बेचैनी बढ़ जाती है. ड्रेनेज सिस्टम सही न होने के कारण बरसात उनके लिए किसी आफत से कम नहीं साबित होती. एरिया में जबरदस्त वाटरलागिंग होती है. दुकानों के अंदर तक पानी भरने से शॉपकीपर्स को भी नुकसान उठाना पड़ता है. अंधेरे में डूबी रहने वाली खस्ताहाल रोड से उनकी परेशानियां और भी बढ़ जाती है.
रावतपुर गांव रोड पर रहने वाले राजेश अग्निहोत्री ने कहा कि बारिश में रोड तालाब बन जाती है. घर पहुंचना भी मुश्किल हो जाता है. रफ रोड की वजह से बाइक, रिक्शे पलट जाते हैं. शॉपकीपर अशोक कुमार के मुताबिक बारिश नुकसान लेकर आती है. रोड पर ही नहीं दुकानों के अंदर तक पानी भरने से सामान खराब हो जाता है. शिक्षक नगर में रहने वाले टीचर श्रीकांत शुक्ला गुस्से में कहते है कि यहां सही क्या है. वाटर सप्लाई व सीवेज सिस्टम है नहीं, सड़कें पैदल चलने लायक भी नहीं है. समस्याएं ही समस्याएं है लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है. वहीं गणेश नगर के अनिल भाटिया कहते हैं कि सफाई का हाल बहुत ही खराब है. बारिश का सीजन आने वाला है लेकिन नाला सफाई आधी-अधूरी हुई है. ऐसे में वाटर लागिंग से कोई नहीं रोक पाएगा. प्रकाश चंद्र कहते हैं कि कर्बला, आनंदनगर हो फिर रावतपुर गांव के सभी मोहल्लों का हाल खराब है.
पार्षद सुमन गुप्ता के पति धर्मेश कहते हैं कि बेटरमेंट चार्ज न मिलने से केडीए विकास कार्य नहीं कराता है. नगर निगम में अफसरशाही हावी है. बावजूद इसके पार्षद निधि और मेयर, एडमिनिस्ट्रेशन ऑफिसर्स से मिलकर पार्षद कोटे से कई गुना का काम करा चुके है. इलेक्शन जीतने के पहले से ही पार्षद निवास से रावतपुर गांव, मसवानपुर और सरायं को जोड़ने वाली रोड बनाने के लिए प्रयासरत हूं।
मानसून हो गया लेट
उमस भरी गर्मी से बेहाल कानपुराइट्स टकटकी लगाए आसमान की ओर निहार रहे हैं. लेकिन गर्मी उनका पीछा छोड़ने को तैयार नहीं है. संडे को पारा और चढ़ गया. लास्ट ईयर की तरह मौसम वैज्ञानिकों ने टाइम से पहले मानसून आने की संभावना व्यक्त की. लेकिन अब तक कानपुराइट्स बारिश की बौछारों को तरस रहे हैं. इधर गर्मी हैं कि कम होने का नाम नहीं ले रही है. उमस और पारा और भी बढ़ता जा रहा है. संडे को मैक्सिमम टेम्परेचर जहां 43 पर पहुंच गया वहीं मिनिमम 31 को पार कर गया. उमस की वजह से लोग पसीने से तरबतर रहे. लोगों को अब बस केवल बारिश से उम्मीद है. लोगों का मानना है कि भीषण गर्मी से केवल और केवल बारिश ही बचा सकती है. उधर, सीएसए के मौसम वैज्ञानिक डा. अनिरुद्ध दुबे ने बताया कि पिछले दिनों बही पश्चिमी हवा की वजह से मानसून और लेट हो गया है. अब हवा माफिक बह रही है लेकिन उसकी रफ्तार धीमी है. उन्होंने कहा कि फिलहाल दो दिनों तक बारिश की कोई उम्मीद नहीं है. सबकुछ हवाओं के रूख पर निर्भर रहेगा.
रावतपुर गांव रोड पर रहने वाले राजेश अग्निहोत्री ने कहा कि बारिश में रोड तालाब बन जाती है. घर पहुंचना भी मुश्किल हो जाता है. रफ रोड की वजह से बाइक, रिक्शे पलट जाते हैं. शॉपकीपर अशोक कुमार के मुताबिक बारिश नुकसान लेकर आती है. रोड पर ही नहीं दुकानों के अंदर तक पानी भरने से सामान खराब हो जाता है. शिक्षक नगर में रहने वाले टीचर श्रीकांत शुक्ला गुस्से में कहते है कि यहां सही क्या है. वाटर सप्लाई व सीवेज सिस्टम है नहीं, सड़कें पैदल चलने लायक भी नहीं है. समस्याएं ही समस्याएं है लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है. वहीं गणेश नगर के अनिल भाटिया कहते हैं कि सफाई का हाल बहुत ही खराब है. बारिश का सीजन आने वाला है लेकिन नाला सफाई आधी-अधूरी हुई है. ऐसे में वाटर लागिंग से कोई नहीं रोक पाएगा. प्रकाश चंद्र कहते हैं कि कर्बला, आनंदनगर हो फिर रावतपुर गांव के सभी मोहल्लों का हाल खराब है.
पार्षद सुमन गुप्ता के पति धर्मेश कहते हैं कि बेटरमेंट चार्ज न मिलने से केडीए विकास कार्य नहीं कराता है. नगर निगम में अफसरशाही हावी है. बावजूद इसके पार्षद निधि और मेयर, एडमिनिस्ट्रेशन ऑफिसर्स से मिलकर पार्षद कोटे से कई गुना का काम करा चुके है. इलेक्शन जीतने के पहले से ही पार्षद निवास से रावतपुर गांव, मसवानपुर और सरायं को जोड़ने वाली रोड बनाने के लिए प्रयासरत हूं।
मानसून हो गया लेट
उमस भरी गर्मी से बेहाल कानपुराइट्स टकटकी लगाए आसमान की ओर निहार रहे हैं. लेकिन गर्मी उनका पीछा छोड़ने को तैयार नहीं है. संडे को पारा और चढ़ गया. लास्ट ईयर की तरह मौसम वैज्ञानिकों ने टाइम से पहले मानसून आने की संभावना व्यक्त की. लेकिन अब तक कानपुराइट्स बारिश की बौछारों को तरस रहे हैं. इधर गर्मी हैं कि कम होने का नाम नहीं ले रही है. उमस और पारा और भी बढ़ता जा रहा है. संडे को मैक्सिमम टेम्परेचर जहां 43 पर पहुंच गया वहीं मिनिमम 31 को पार कर गया. उमस की वजह से लोग पसीने से तरबतर रहे. लोगों को अब बस केवल बारिश से उम्मीद है. लोगों का मानना है कि भीषण गर्मी से केवल और केवल बारिश ही बचा सकती है. उधर, सीएसए के मौसम वैज्ञानिक डा. अनिरुद्ध दुबे ने बताया कि पिछले दिनों बही पश्चिमी हवा की वजह से मानसून और लेट हो गया है. अब हवा माफिक बह रही है लेकिन उसकी रफ्तार धीमी है. उन्होंने कहा कि फिलहाल दो दिनों तक बारिश की कोई उम्मीद नहीं है. सबकुछ हवाओं के रूख पर निर्भर रहेगा.