एचबीटीआई रिसर्च
KANPUR (29 Oct): सिर्फ एक गिलास का कमाल कुछ ही दिनों में आपके हाथ में होगा. इससे आप तत्काल भरपूर एनर्जी बिना किसी नुकसान के पा सकेंगे.और तो और इससे पेट के रोग भी दूर होंगे. यह इंस्टेंट एनर्जी ड्रिंक बनेगा डेयरी के वेस्टेज प्रोडक्ट्स से. इस बारे में एचबीटीआई रिसर्च कर रहा है. रिसर्च के बाद इसे पेटेंट कराने का भी प्लान है. यह स्टेट गवर्नमेंट और संस्थान की कमाई का जरिया भी बनेगा.
एचबीटीआई के बायोकेमिकल इजीनियरिंग डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अलक कुमार सिंह के नेतृत्व में इंस्टेंट एनर्जी बूस्टर बनाने पर रिसर्च हो रहा है. दो दिन पूर्व काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी से इस प्रोजेक्ट के लिए स्वीकृति लेटर भेजकर 7 लाख रुपए इनीशियल फंड भी रिलीज कर दिया गया है. डॉ. सिंह ने आई नेक्स्ट को बताया कि शहर में डेली हजारों लीटर डेयरी प्रोडक्ट्स लिक्विड वेस्टेज के तौर पर निकलता है. इसमें दही और पनीर से निकला पानी सबसे महत्वपूर्ण अवयव है. इसे वे कहा जाता है. इसे लोग और डेयरी वाले गंगा में बहा देते हैं. इससे गंगा का सामान्य बीओडी स्तर 200 से बढ़कर 70 हजार तक पहुंच जाता है. यानी गंगा दूध-दही के इस वेस्ट बाई प्रोडक्ट से भी काफी प्रदूषित हो रही है. उनका विभाग इसी बहा दिए जाने वाले वेस्ट प्रोडक्ट से इंस्टेंट एनर्जी ड्रिंक तैयार करने पर रिसर्च कर रहा है. वे की आर्गेनिक केमिकल निकालकर उसमें मिलने वाले प्योर लैक्टोस को अलग कर लिया जाएगा.
इसे ड्राई या लिक्विड फार्म में लोगों को दिया जाएगा. सबसे ज्यादा बड़ी बात ये है कि ये ग्लूकोज सहित वे में मिलने वाले सोडियम, पोटैशियम व मैग्नीशियम जैसे पदार्थो को बच्चों की बेहद कारगर इलेक्ट्रोलाइट व दवा बनाने में प्रयोग किया जाएगा.
KANPUR (29 Oct): सिर्फ एक गिलास का कमाल कुछ ही दिनों में आपके हाथ में होगा. इससे आप तत्काल भरपूर एनर्जी बिना किसी नुकसान के पा सकेंगे.और तो और इससे पेट के रोग भी दूर होंगे. यह इंस्टेंट एनर्जी ड्रिंक बनेगा डेयरी के वेस्टेज प्रोडक्ट्स से. इस बारे में एचबीटीआई रिसर्च कर रहा है. रिसर्च के बाद इसे पेटेंट कराने का भी प्लान है. यह स्टेट गवर्नमेंट और संस्थान की कमाई का जरिया भी बनेगा.
एचबीटीआई के बायोकेमिकल इजीनियरिंग डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अलक कुमार सिंह के नेतृत्व में इंस्टेंट एनर्जी बूस्टर बनाने पर रिसर्च हो रहा है. दो दिन पूर्व काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी से इस प्रोजेक्ट के लिए स्वीकृति लेटर भेजकर 7 लाख रुपए इनीशियल फंड भी रिलीज कर दिया गया है. डॉ. सिंह ने आई नेक्स्ट को बताया कि शहर में डेली हजारों लीटर डेयरी प्रोडक्ट्स लिक्विड वेस्टेज के तौर पर निकलता है. इसमें दही और पनीर से निकला पानी सबसे महत्वपूर्ण अवयव है. इसे वे कहा जाता है. इसे लोग और डेयरी वाले गंगा में बहा देते हैं. इससे गंगा का सामान्य बीओडी स्तर 200 से बढ़कर 70 हजार तक पहुंच जाता है. यानी गंगा दूध-दही के इस वेस्ट बाई प्रोडक्ट से भी काफी प्रदूषित हो रही है. उनका विभाग इसी बहा दिए जाने वाले वेस्ट प्रोडक्ट से इंस्टेंट एनर्जी ड्रिंक तैयार करने पर रिसर्च कर रहा है. वे की आर्गेनिक केमिकल निकालकर उसमें मिलने वाले प्योर लैक्टोस को अलग कर लिया जाएगा.
इसे ड्राई या लिक्विड फार्म में लोगों को दिया जाएगा. सबसे ज्यादा बड़ी बात ये है कि ये ग्लूकोज सहित वे में मिलने वाले सोडियम, पोटैशियम व मैग्नीशियम जैसे पदार्थो को बच्चों की बेहद कारगर इलेक्ट्रोलाइट व दवा बनाने में प्रयोग किया जाएगा.
magic of glass
Reviewed by Brajmohan
on
10:16 AM
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