NEW DELHI (20 May, Agency): मेरी जेब में पांच पैसाभी नहीं सौदा करूंगा पांच लाख का.. वर्षो पुरानी फिल्म त्रिशूल में अमिताभका ये डायलाग आज भी पॉपुलर है. लेकिन शायद ही कोई जानता हो किअमिताभ की जेब में उनकी कालेजलाइफ के दिनों में 25 पैसे भी नहीं हुआकरते थे. ये बातें बिग बी ने हाल ही मेंअपने ब्लॉग में लिखी हैं.
उन्होंने अपने मुफलिसी के दिनों कोयाद करते हुए ये भी लिखा है कि वोढंग के कपड़े न होने पर एक फंक्शनमें नहीं शामिल हो सके थे. आज उनकेपास बेशुमार दौलत है, नाम भी औररुतबा भी वे आज किसी परिचय केमोहताज नहीं हैं लेकिन कभी उन्हेंएक-एक पैसे के लिए मश्क्कत करनीपड़ती थी.
तब रो पड़े थे अमिताभ
बिग बी ने अपने ब्लाग में अपनीफेमिली के अभाव भरे दिनों का जिक्रकिया है. मेगास्टार ने लिखा है किउनके माता पिता सीमित इनकम मेंबहुत मुश्किल से अपने बच्चों कीजरूरतें पूरी कर पाते थे. स्कूल के दिनोंमें क्रिकेट क्लब की फीस दो रुपए थीऔर मां के पास उन्हें देने के लिए दोरुपए भी नहीं थे. इस बेबसी से निराशअमिताभ तब रो पड़े थे.
केवल दो जींस पैंट और शर्ट थीं
उन्होंने लिखा है कि उनके फ्रेंड्स केबर्थ डे की पार्टियों में उनके सभी साथीशोफर ड्रिवन कारों में आते थे, जबकिबिग बी साइकिल से जाते थे. उनकेघर पर अन्य फ्रेंड्स की तरह एसी नहींथा. उनके पास केवल दो जींस पैंट औरदो शर्ट थीं जिन्हें वह हर मौके परपहनते थे.
एक समय वो भी था जब यूनिवर्सिटीके बाहर खड़े ठेले वाले से 25 पैसे कीकोकाकोला की बोतल और मसालेवाला खीरा खरीदना भी बिग बी के बूतेके बाहर था. बिग बी के अनुसार, नईदिल्ली के विज्ञान भवन में हर्बट वोनकरांजन ने विएना फिलहार्मोनिकआर्केस्ट्रा आयोजित किया था लेकिनसमारोह में बिग बी इसलिए नहीं जासके थे क्योंकि उनके पास अच्छे कपड़ेनहीं थे और जो थे, उन्हें ड्राइक्लीनकराने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे.
उनसे कुछ नहीं लेते थे
मेगास्टार ने लिखा है कि जब वहअपने पैरों पर खड़े हुए और उनकीइकॉनमी प्रॉब्लम दूर हुई तो वह अपनेगार्जियंस की हर कमी दूर करनाचाहते थे. अमिताभ अपनी यह इच्छाअपने माता पिता के सामने जाहिर भीकरते थे, लेकिन उनके माता पिताउनसे कुछ नहीं लेते थे.
बताओ, दिन कैसा गुजरा
बिग बी ने लिखा है कि उनके मां बापसिर्फ इतना चाहते थे कि मैं उनके पासबैठूं और बताऊं कि आज दिन कैसागुजरा. उनकी चाह हमारे साथ बेहदनितांत निजी पल बिताने की होती थी.
उन्होंने अपने फैंस को गार्जियंस केसाथ समय बिताने की नसीहत देतेहुए ब्लाग में लिखा है- मैं आज अपनेगार्जियंस को खो चुका हूं, लेकिन आपमें से कितने लोग अपने गार्जियंस केलिए समय निकाल पाते हैं, उनकेसाथ बैठ कर बातें करते हैं. अपनेब्लॉग की नई पोस्ट में लिखा कि सुखतो फेमिली का कोई भी मेंबर दे सकताहै पर माता-पिता से मिलने वालाअपने आप में संपूर्ण होता है. कहते हैंन माता-पिता का आर्शीवाद आपकोजन्नत का रास्ता दिखाता है. उन्होंनेलिखा - मुझे यहां तक पहुंचाने में कहींन कहीं मेरे माता-पिता का आर्शीवादही रहा होगा.
उन्होंने अपने मुफलिसी के दिनों कोयाद करते हुए ये भी लिखा है कि वोढंग के कपड़े न होने पर एक फंक्शनमें नहीं शामिल हो सके थे. आज उनकेपास बेशुमार दौलत है, नाम भी औररुतबा भी वे आज किसी परिचय केमोहताज नहीं हैं लेकिन कभी उन्हेंएक-एक पैसे के लिए मश्क्कत करनीपड़ती थी.
तब रो पड़े थे अमिताभ
बिग बी ने अपने ब्लाग में अपनीफेमिली के अभाव भरे दिनों का जिक्रकिया है. मेगास्टार ने लिखा है किउनके माता पिता सीमित इनकम मेंबहुत मुश्किल से अपने बच्चों कीजरूरतें पूरी कर पाते थे. स्कूल के दिनोंमें क्रिकेट क्लब की फीस दो रुपए थीऔर मां के पास उन्हें देने के लिए दोरुपए भी नहीं थे. इस बेबसी से निराशअमिताभ तब रो पड़े थे.
केवल दो जींस पैंट और शर्ट थीं
उन्होंने लिखा है कि उनके फ्रेंड्स केबर्थ डे की पार्टियों में उनके सभी साथीशोफर ड्रिवन कारों में आते थे, जबकिबिग बी साइकिल से जाते थे. उनकेघर पर अन्य फ्रेंड्स की तरह एसी नहींथा. उनके पास केवल दो जींस पैंट औरदो शर्ट थीं जिन्हें वह हर मौके परपहनते थे.
एक समय वो भी था जब यूनिवर्सिटीके बाहर खड़े ठेले वाले से 25 पैसे कीकोकाकोला की बोतल और मसालेवाला खीरा खरीदना भी बिग बी के बूतेके बाहर था. बिग बी के अनुसार, नईदिल्ली के विज्ञान भवन में हर्बट वोनकरांजन ने विएना फिलहार्मोनिकआर्केस्ट्रा आयोजित किया था लेकिनसमारोह में बिग बी इसलिए नहीं जासके थे क्योंकि उनके पास अच्छे कपड़ेनहीं थे और जो थे, उन्हें ड्राइक्लीनकराने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे.
उनसे कुछ नहीं लेते थे
मेगास्टार ने लिखा है कि जब वहअपने पैरों पर खड़े हुए और उनकीइकॉनमी प्रॉब्लम दूर हुई तो वह अपनेगार्जियंस की हर कमी दूर करनाचाहते थे. अमिताभ अपनी यह इच्छाअपने माता पिता के सामने जाहिर भीकरते थे, लेकिन उनके माता पिताउनसे कुछ नहीं लेते थे.
बताओ, दिन कैसा गुजरा
बिग बी ने लिखा है कि उनके मां बापसिर्फ इतना चाहते थे कि मैं उनके पासबैठूं और बताऊं कि आज दिन कैसागुजरा. उनकी चाह हमारे साथ बेहदनितांत निजी पल बिताने की होती थी.
उन्होंने अपने फैंस को गार्जियंस केसाथ समय बिताने की नसीहत देतेहुए ब्लाग में लिखा है- मैं आज अपनेगार्जियंस को खो चुका हूं, लेकिन आपमें से कितने लोग अपने गार्जियंस केलिए समय निकाल पाते हैं, उनकेसाथ बैठ कर बातें करते हैं. अपनेब्लॉग की नई पोस्ट में लिखा कि सुखतो फेमिली का कोई भी मेंबर दे सकताहै पर माता-पिता से मिलने वालाअपने आप में संपूर्ण होता है. कहते हैंन माता-पिता का आर्शीवाद आपकोजन्नत का रास्ता दिखाता है. उन्होंनेलिखा - मुझे यहां तक पहुंचाने में कहींन कहीं मेरे माता-पिता का आर्शीवादही रहा होगा.
अमिताभ ..तब 25 पैसे भी नहीं थे
Reviewed by Brajmohan
on
12:40 PM
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बढ़िया, रोचक विवरण आपने हिंदी में पेश किया. धन्यवाद
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