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मार्च से 16 मई तक सात मई को 4आचार संहिता को लेकर अब तक कुल 67 नोटिस जारी 4नोटिस के बाद जवाब के साथ 91 हजार जुर्माना वसूला
नो इंटरव्यू सीसीएस यूनिवर्सिटी टीचर्स की कमी का सामना कर रही है. लॉ और इंजीनियरिंग जैसी ब्रांच में सारा काम विजिटिंग फैकल्टी के जिम्मे चल रहा है. समस्या से उबरने के लिए यूनिवर्सिटी ने अब प्रयास शुरू किए तो आचार संहिता आडे़ आ गई. इस कारण लॉ और इंजीनियरिंग ब्रांच में टीचर्स के इंटरव्यू नहीं हो पाए. जबकि यूनिवर्सिटी चुनाव की घोषणा से पहले ही प्रक्रिया शुरू कर चुकी थी. प्रशासन की सक्रियता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि ईसी की बैठक में कैंपस के कुछ टीचर्स को प्रमोशन दिए जाने की चर्चा उड़ी तो इसी बात पर प्रशासन ने यूनिवर्सिटी को आचार संहिता का हवाला देते हुए खबरदार कर दिया. इसके बाद यूनिवर्सिटी को अपने सारे कदम वापस खींचने पडे़. 24 हजार अटके अब बात बेसिक स्कूलों की. प्रदेश में इस समय 50 हजार बेसिक टीचर्स की भर्ती प्रक्रिया चल रही है. जनवरी में फार्म भरे गए. अब मार्च तक सभी डायट को मेरिट लिस्ट जारी कर मई तक ट्रेनिंग भी शुरू करनी थी. इस बीच चुनाव की घोषणा हो गई. इसलिए मेरिट लिस्ट अब मई अंत तक ही जारी हो पाएगी. इसी के साथ मेरठ डायट को प्राप्त 24,352 आवेदन अगले दो महीने के लिए ठंडे बस्ते में चले गए हैं. डायट प्रिंसिपल रमेश शर्मा मेरिट जारी नहीं कर पाने के लिए आचार संहिता की मजबूरी बयां कर रही हैं. यही नहीं प्राइमरी स्कूलों में शिक्षामित्रों की नियुक्ति भी इस चुनावी चपेट में आ गई है. इस वक्त जिले में शिक्षामित्रों के करीब 50 पद खाली हैं. इनके लिए मार्च में आवेदन मांगे जाने थे, उम्मीद थी कि मई-जून में ट्रेनिंग होने के बाद जुलाई में नया सत्र खुलने के साथ ही बंद पडे़ स्कूलों को टीचर्स नसीब हो पाएंगे. अब यह काम अक्टूबर से पहले होना संभव नहीं है. आचार संहिता का अंधेरा आचार संहिता दरअसल निकम्मेपन के लिए ढाल बनती जा रही है. इसकी मिसाल नगर निगम है. निगम में पहले ही 14 हजार स्ट्रीट लाइटों की कमी है. इस बीच निगम ने नई स्ट्रीट लाइट लगाना बंद कर दिया है. यहां के बाबुओं को डर है कि एक अदद स्ट्रीट लाइट चुनाव की भावना के खिलाफ होगी. अब यहां के बाबू रोजमर्रा के काम में भी आचार संहिता की आड़ ले रहे हैं, मसलन जन्म प्रमाण पत्र, पानी के नए कनेक्शन की फाइल आगे बढ़ाने में बाबुओं को आचार संहिता का डर सता रहा है. पावरलेस चुनाव पावर के लिए ही तो लड़ा जाता है. पर इस पावर गेम से पहले जनता को पावरलेस जैसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. पावर कार्पोरेशन अब नए कनेक्शन नहीं दे रहा है, क्योंकि विभाग के पास नए मीटर नहीं हैं. नए मीटर की खरीद चूंकि आचार संहिता का उल्लंघन माना जा सकता है, इसलिए विभाग ने हाथ बांध लिए हैं. बिना बिजली के आपकी गर्मी कैसे बीतेगी यह विभाग की चिंता नहीं है. नौचंदी पर नखरे चुनाव आचार संहिता को लेकर प्रशासन किस कदर लकीर पीट रहा है, इस बात का अंदाजा नौचंदी मेले को लेकर प्रशासन द्वारा किए जा रहे नखरों से जाहिर हो जाता है. उद्घाटन के दिन प्रशासन अंतिम समय तक कन्फ्यूज रहा. फिर लोकलाज के डर से उद्घाटन हुआ भी तो अब रोज-रोज के कार्यक्रमों में भी नोटिस जारी हो रहे हैं. इस समय सबका ध्यान चुनाव पर है. कोड ऑफ कंडक्ट का सख्ती से पालन कराया जा रहा है. हमारी कोशिश है कि पब्लिक के काम किसी तरह बाधित न हों. डीएम एवं जिला निर्वाचन अधिकारी
मार्च से 16 मई तक सात मई को 4आचार संहिता को लेकर अब तक कुल 67 नोटिस जारी 4नोटिस के बाद जवाब के साथ 91 हजार जुर्माना वसूला
नो इंटरव्यू सीसीएस यूनिवर्सिटी टीचर्स की कमी का सामना कर रही है. लॉ और इंजीनियरिंग जैसी ब्रांच में सारा काम विजिटिंग फैकल्टी के जिम्मे चल रहा है. समस्या से उबरने के लिए यूनिवर्सिटी ने अब प्रयास शुरू किए तो आचार संहिता आडे़ आ गई. इस कारण लॉ और इंजीनियरिंग ब्रांच में टीचर्स के इंटरव्यू नहीं हो पाए. जबकि यूनिवर्सिटी चुनाव की घोषणा से पहले ही प्रक्रिया शुरू कर चुकी थी. प्रशासन की सक्रियता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि ईसी की बैठक में कैंपस के कुछ टीचर्स को प्रमोशन दिए जाने की चर्चा उड़ी तो इसी बात पर प्रशासन ने यूनिवर्सिटी को आचार संहिता का हवाला देते हुए खबरदार कर दिया. इसके बाद यूनिवर्सिटी को अपने सारे कदम वापस खींचने पडे़. 24 हजार अटके अब बात बेसिक स्कूलों की. प्रदेश में इस समय 50 हजार बेसिक टीचर्स की भर्ती प्रक्रिया चल रही है. जनवरी में फार्म भरे गए. अब मार्च तक सभी डायट को मेरिट लिस्ट जारी कर मई तक ट्रेनिंग भी शुरू करनी थी. इस बीच चुनाव की घोषणा हो गई. इसलिए मेरिट लिस्ट अब मई अंत तक ही जारी हो पाएगी. इसी के साथ मेरठ डायट को प्राप्त 24,352 आवेदन अगले दो महीने के लिए ठंडे बस्ते में चले गए हैं. डायट प्रिंसिपल रमेश शर्मा मेरिट जारी नहीं कर पाने के लिए आचार संहिता की मजबूरी बयां कर रही हैं. यही नहीं प्राइमरी स्कूलों में शिक्षामित्रों की नियुक्ति भी इस चुनावी चपेट में आ गई है. इस वक्त जिले में शिक्षामित्रों के करीब 50 पद खाली हैं. इनके लिए मार्च में आवेदन मांगे जाने थे, उम्मीद थी कि मई-जून में ट्रेनिंग होने के बाद जुलाई में नया सत्र खुलने के साथ ही बंद पडे़ स्कूलों को टीचर्स नसीब हो पाएंगे. अब यह काम अक्टूबर से पहले होना संभव नहीं है. आचार संहिता का अंधेरा आचार संहिता दरअसल निकम्मेपन के लिए ढाल बनती जा रही है. इसकी मिसाल नगर निगम है. निगम में पहले ही 14 हजार स्ट्रीट लाइटों की कमी है. इस बीच निगम ने नई स्ट्रीट लाइट लगाना बंद कर दिया है. यहां के बाबुओं को डर है कि एक अदद स्ट्रीट लाइट चुनाव की भावना के खिलाफ होगी. अब यहां के बाबू रोजमर्रा के काम में भी आचार संहिता की आड़ ले रहे हैं, मसलन जन्म प्रमाण पत्र, पानी के नए कनेक्शन की फाइल आगे बढ़ाने में बाबुओं को आचार संहिता का डर सता रहा है. पावरलेस चुनाव पावर के लिए ही तो लड़ा जाता है. पर इस पावर गेम से पहले जनता को पावरलेस जैसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. पावर कार्पोरेशन अब नए कनेक्शन नहीं दे रहा है, क्योंकि विभाग के पास नए मीटर नहीं हैं. नए मीटर की खरीद चूंकि आचार संहिता का उल्लंघन माना जा सकता है, इसलिए विभाग ने हाथ बांध लिए हैं. बिना बिजली के आपकी गर्मी कैसे बीतेगी यह विभाग की चिंता नहीं है. नौचंदी पर नखरे चुनाव आचार संहिता को लेकर प्रशासन किस कदर लकीर पीट रहा है, इस बात का अंदाजा नौचंदी मेले को लेकर प्रशासन द्वारा किए जा रहे नखरों से जाहिर हो जाता है. उद्घाटन के दिन प्रशासन अंतिम समय तक कन्फ्यूज रहा. फिर लोकलाज के डर से उद्घाटन हुआ भी तो अब रोज-रोज के कार्यक्रमों में भी नोटिस जारी हो रहे हैं. इस समय सबका ध्यान चुनाव पर है. कोड ऑफ कंडक्ट का सख्ती से पालन कराया जा रहा है. हमारी कोशिश है कि पब्लिक के काम किसी तरह बाधित न हों. डीएम एवं जिला निर्वाचन अधिकारी
सीसीएस युनिवर्सिटी में टीचर्स की कमी
Reviewed by Brajmohan
on
2:59 PM
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