आम की ये मिठास असली नहीं नकली है

समर सीजन में फलों के राजा आम की मिठास सभी की फेवरिट होती है. लेकिन ये मिठास आपको कितनी महंगी पड़ सकती है शायद आपको इसका अंदाज भी नहीं. आम की ये मिठास असली नहीं नकली है. कैल्सियम कार्बाइड से पका आम आपको सांस से लेकर कैंसर जैसी बीमारियों का शिकार बना सकता है. सिर्फ 15 रुपए किलो कैल्शियम कार्बाइड से 200 किलो आम कुछ ही घंटो में पकाया जा सकता है. 1954 से कैल्शियम कार्बाइड बैन है लेकिन आज खुले आम इसका यूज फलों और सब्जियों को पकाने में किया जा रहा है.
एक्सपर्ट्स की माने तो कैल्शियम कार्बाइड से आर्सेनिक और फास्फोरस होता है. जिससे पके आम खाने से आपको सांस, ब्रीदिंग प्राब्लम, चक्कर, उल्टी, सिर दर्द, नसे खराब होना, कैंसर और नर्वस डिसीसेज हो सकती हैं.
अगर आम की डंडी हरी है और वो ऊपर से हरा और नीचे से पीला है तो उसे कैल्शियम कार्बाइड से पकाया गया है. ऐसे आम में कहीं कहीं पर व्हाइट पाउडर भी नजर आता है. दशहरी, चौसा, सफेदा और लंगड़ा मार्केट में अभी से अपनी मिठास घोल रहे हैं. जबकि हुस्नआरा, आम खास, लंगड़ा लेट वेराइटी के आम हैं. लेकिन मार्केट में ये आसानी से मिल रहे हैं. इन सभी वैराइटीज को कैल्शियम कार्बाइड से पकाया जा रहा है.
हैलट आईसीयू इंजार्च डॉ. आरती लाल चंदानी बताती हैं कि कैल्शियम कार्बाइड से पका आम कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है. वहीं फिजीशियन डॉ. संजय मेहरोत्रा बताते हैं कि कई बार कैल्शियम कार्बाइड से पके फल खाने से ब्रीदिंग प्राब्लम और सांस की प्रॉब्लम हो जाती है.
डॉक्टर्स का कहना है कि कैल्शियम कार्बाइड की सहायता से पके आम को नहीं खाना चाहिए. सिटी में उन सभी वैराइटी के पके आम मिल जाएंगे, जिनका पकने का अभी मौसम भी नहीं हुआ है.

1 Comments

Comment Me ;)

Previous Post Next Post