आज की फास्ट लाइफ में हर आदमी खुद को अपडेट रखते हुए लग्जीरियस लाइफ जीना चाहता है. ऐसे में पूरे वर्ल्ड में इलेक्ट्रानिक गैजेट्स का यूज लगातार बढ़ता जा रहा है. निश्चित ही कम्प्यूटर, लैपटाप और मोबाइल जैसी चीजों ने लोगों को काफी राहत भी पहुंचाई है लेकिन एक सच यह भी है कि इन नई टेक्नॉलजी के साथ ढेर सारी प्रॉब्लम्स भी आई हैं. ई-वेस्ट इन्हीं में से एक है. यूनाइटेड नेशंस एनवायरमेंट प्रोग्राम (यूएनईपी) ने इसको लेकर वॉर्निग दी है. इस वॉर्निग में कहा गया है कि भारत और चीन जैसी डेवलपिंग कंट्रीज ने ई-वेस्ट को ठीक से रिसाइकल नहीं किया तो इसका पहाड़ खड़ा हो जाएगा.
यूएनईपी की ऑपरेशन काउंसिल की मीटिंग के दौरान जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले 10 साल में भारत, चीन और अदर डेवलपिंग कंट्रीज में इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट्स की बिक्री बहुत तेजी से बढ़ेगी. इस तरह इनसे निकलने वाले ई-वेस्ट का लोगों की हेल्थ पर सीरियस इफेक्ट पड़ेगा.
डेंजरस डेटा
रिपोर्ट के मुताबिक इस समय भारत में फ्रिज से 100000 टन, टीवी से 275000 टन, कंप्यूटर से 56300 टन, प्रिंटर से 4700 टन और मोबाइल फोन से 1700 टन ई-वेस्ट हर साल निकलता है. अनुमान है कि 2020 तक पुराने कंप्यूटर्स की वजह से इलेक्ट्रानिक वेस्ट का डेटा भारत में 500 परसेंट और साउथ अफ्रीका व चीन में 200 से लेकर 400 परसेंट तक बढ़ जाएगा. 2020 तक भारत में मोबाइल फोन से निकला ई-वेस्ट 2007 के कंपैरिजन में 18 परसेंट और चीन में सात परसेंट अधिक होगा. साथ ही चीन और भारत में टीवी के ई-वेस्ट में डेढ़ से दोगुना तक का इजाफा होगा. जबकि रेफ्रिजरेटर से निकलने वाला ई-वेस्ट दो से तीन गुना तक बढ़ जाएगा.
जला देते हैं ई-वेस्ट
भारत में रिसाइकलिंग करने वाले गोल्ड जैसे मेटल हासिल करने के लिए ज्यादातर ई-वेस्ट जला देते हैं. इससे काफी मात्रा में विषैली गैसें निकलती हैं. इस पॉल्यूशन के खतरे के कंपैरिजन में प्राप्त मेटल्स की प्राइस हालांकि काफी कम होती है.
यूएनईपी की ऑपरेशन काउंसिल की मीटिंग के दौरान जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले 10 साल में भारत, चीन और अदर डेवलपिंग कंट्रीज में इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट्स की बिक्री बहुत तेजी से बढ़ेगी. इस तरह इनसे निकलने वाले ई-वेस्ट का लोगों की हेल्थ पर सीरियस इफेक्ट पड़ेगा.
डेंजरस डेटा
रिपोर्ट के मुताबिक इस समय भारत में फ्रिज से 100000 टन, टीवी से 275000 टन, कंप्यूटर से 56300 टन, प्रिंटर से 4700 टन और मोबाइल फोन से 1700 टन ई-वेस्ट हर साल निकलता है. अनुमान है कि 2020 तक पुराने कंप्यूटर्स की वजह से इलेक्ट्रानिक वेस्ट का डेटा भारत में 500 परसेंट और साउथ अफ्रीका व चीन में 200 से लेकर 400 परसेंट तक बढ़ जाएगा. 2020 तक भारत में मोबाइल फोन से निकला ई-वेस्ट 2007 के कंपैरिजन में 18 परसेंट और चीन में सात परसेंट अधिक होगा. साथ ही चीन और भारत में टीवी के ई-वेस्ट में डेढ़ से दोगुना तक का इजाफा होगा. जबकि रेफ्रिजरेटर से निकलने वाला ई-वेस्ट दो से तीन गुना तक बढ़ जाएगा.
जला देते हैं ई-वेस्ट
भारत में रिसाइकलिंग करने वाले गोल्ड जैसे मेटल हासिल करने के लिए ज्यादातर ई-वेस्ट जला देते हैं. इससे काफी मात्रा में विषैली गैसें निकलती हैं. इस पॉल्यूशन के खतरे के कंपैरिजन में प्राप्त मेटल्स की प्राइस हालांकि काफी कम होती है.
Stop Mounting threat from e-waste
Reviewed by Brajmohan
on
10:31 PM
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