पाकिस्तान के साथ साझा बयान पर घिरी केंद्र सरकार अब रक्षात्मक मुद्रा छोड़ आक्रामक होने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस ने एक दिन पहले पहली बार खुद को सरकार के साथ खड़ा दिखाया. इसके दूसरे ही दिन पीएम डॉ. मनमोहन सिंह भी मैदान में उतर आए. शनिवार को उन्होंने दो टूक कहा, हमारे पास हर सवाल का जवाब है. माना जा रहा है कि 29 जुलाई को सदन में पीएम इस मामले में बयान देकर स्थिति स्पष्ट करेंगे. पाकिस्तान के साथ साझा बयान में बलूचिस्तान का जिक्र करने के मुद्दे पर सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर है. कांग्रेस भी खुल कर पीएम के साथ नहीं दिख रही थी. जब हर मोर्चे पर भारत के पक्ष को कमजोर करने का आरोप लगा कर सरकार की फजीहत की जाने लगी तब शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निवास पर वरिष्ठ नेताओं ने बैठक कर इस मामले पर विचार-विमर्श किया. इसके बाद कांग्रेस के रणनीतिकार, संसद व संसद के बाहर जवाब देने की तैयारी में जुट गए. इसके बाद पीएम ने भी खुद आगे आकर मोर्चा संभालने का फैसला किया. सब मीडिया की उपज है संयुक्त बयान में बलूचिस्तान का जिक्र किए जाने और आतंकवाद को समग्र वार्ता से अलग करने के संबंध में पूछे गए सवालों पर सिंह ने कहा कि संसद में मैं बयान दे चुका हूं. अब फिर संसद में चर्चा होने जा रही है, वहीं स्थिति स्पष्ट करूंगा. इस बारे में अन्य प्रश्नों का उत्तर भी उन्होंने यह कह कर देने से इन्कार कर दिया कि संसद में चर्चा होनी है. ऐसे में इस मुद्दे पर विशेष सवाल का जवाब देना अनुचित होगा. हालांकि उन्होंने दावा किया, हमारे पास सभी सवालों के वाजिब जवाब हैं. उन्होंने इस मामले पर कांग्रेस के साथ मतभेद की बातों को मीडिया की उपज बताते हुए टाल दिया.सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री के बयान से पहले केंद्र सकार बलूचिस्तान का जिक्र करने के पीछे की कूटनीति को ठीक से प्रसारित करेगी. सरकार के प्रबंधक जनता को यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि बलूचिस्तान का जिक्र होने से भारत को न तो कोई नुकसान हुआ है और न ही पाकिस्तान को कोई कूटनीतिक विजय हासिल हुई है. तर्क दिया जा रहा है कि मुंबई के हमलावरों पर कार्रवाई के लिए दबाव बनाने के लिए भारत ने थोड़ी नरमी दिखाई है, लेकिन इससे उसका पक्ष कमजोर नहीं पड़ा है. कांग्रेस आलाकमान भी यह सुनिश्चित कर रहा है कि प्रधानमंत्री के साथ पार्टी नहीं है, ऐसा कोई संदेश जनता में नहीं जाना चाहिए. |
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