Dead - are dead patient wandered and Timardar


 मारे-मारे फिरते रहे मरीज और तीमारदार

KANPUR (27 Sept): सड़क ने जख्मी किया लेकिन डॉक्टर्स की स्ट्राइक ने जान ले ली. हैलट इमरजेंसी के बाहर बिलख रहे बच्चों की मां की जान बच सकती थी, लेकिन इलाज न मिलने के कारण मौत हो गई. मासूम रोते और गुहार लगाते रहे लेकिन डॉक्टर्स नहीं पसीजे, सुभद्रा घंटों तड़पती रही जब इलाज मिला तब तक बहुत देर चुकी थी. सुभद्रा की सांसें थम चुकीं थी और बच्चों के सिर से हमेशा-हमेशा के लिए मां का साया उठ चुका था.
नहीं किया admit
सिटी के उस्मानपुर में रहने वाली सुभद्रा पति तेज सिंह के साथ बाइक से चौबेपुर सिटी लौट रही थी. नारामऊ के पास हुए सड़क हादसे में सुभद्रा जख्मी हो गई. फैमिली मेंबर्स आनन-फानन में उसे रामा हॉस्पिटल ले गए, तो गार्ड ने गेट से ही लौटा दिया. बदहवास फैमिली मेंबर्स सुभद्रा को लेकर रीजेंसी और मधुराज पहुंचे तो वहां भी हड़ताल की बात कहकर वापस कर दिया. घबराए फैमिली मेंबर्स आखिर में सुभद्रा को लेकर हैलट पहुंचे. हैलट में भारी भीड़ होने के कारण सुभद्रा बाहर ही तड़पती रही, मासूम बच्चे मां की हालत देख कर रोते रहे लेकिन चाह कर भी सुभद्रा को इलाज नहीं मिल सका.
पति तेज सिंह ने हैलट के सीआईएस वीएन त्रिपाठी से गुहार लगाई. जब तक हैलट में सुभद्रा का इलाज होना शुरू हुआ तब तक बहुत देर हो चुकी थी. ऑक्सीजन लगाए जाने के कुछ ही देर बाद सुभद्रा की मौत हो गई.
हड़ताल ने छीन ली मां
सुभद्रा की मौत की खबर सुन कर इमरजेंसी के बाहर मौजूद सुभद्रा की मां तो जमीन पर गिर पड़ी, बेटी की मौत पर मां बेसुध हो गई. बच्चों को चुप करा रहा भाई भी अपने को नहीं संभाल सका और फफक कर रो पड़ा. रजोल ने बताया कि हड़ताल न होती तो बहन की जान बच जाती. बड़ों को रोते देख खामोश बच्चे भी रो पड़े.

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